एक महिला का शरीर लगातार बदलता रहता  है , और उन परिवर्तनों के लिए अनुकूल होना आवश्यक है l इसकेलिए  अतिरिक्त खुराक की आवश्यकता होती  है। सिर्फ स्वस्थ भोजन पर्याप्त नहीं हो सकता है। पूर्व वयस्कता  ( pre-adulthood ) से  लेकर पूर्व-रजोनिवृत्ति ( Pre-menopause ) और रजोनिवृत्ति (  Menopause )   के बाद के चरण तक हम न केवल शारीरिक रूप से बल्कि भावनात्मक रूप से भी विकसित होते हैं। हम हमेशा अपने दैनिक दिनचर्या में बहुत सी जड़ी बूटियों का उपयोग करते रहे हैं। इन जड़ी-बूटियों या पौधों पर आधारित सप्लीमेंट्स की   शरीर को लगातार आवश्यकता होती है। प्रारंभिक वयस्कता (  pre-adulthood ) का चरण (20-40) तक का  होता है l तब   शरीर  तीव्र मांसपेशियों की वृद्धि और इष्टतम कार्डियक कार्यप्रणाली के लिए अपने आप को  तैयार  कर रहा होता है,  इस  समय शरीर में संवेदी प्रतिक्रिया का भी  निर्माण होता  है। और यह एक ऐसा चरण है जहां शरीर पूरी तरह से बच्चे को जन्म देने की तैयारी कर रहा  होता है

इसके बाद  रजोनिवृत्ति  प्री और पोस्ट)   (menopause pre and post )   दोनों आती है, जब तक मासिक धर्म के लक्षण बंद नहीं होते तब तक शरीर का रसायन धीरे-धीरे बदलता रहता है। 3 सुपर जड़ी बूटियां हे  जो कि  हमेशा  कई शताब्दियों  से आयुर्वेद दवाओं में उपयोग की जाती रही  हैं।

वो है  मंजीस्टा, अश्वगंधा और दारुहरिद्रा  अध्ययनों से पता चला है कि मंजिष्ठ जो जड़ी बूटी  है वो  प्रतिरक्षा प्रणाली ( Immune  system )  को प्रभावित करती है, लसीका प्रणाली  की मदद द्वारा  शरीर से अपशिष्ट और विषाक्त पदार्थों को निकालती है l इसकी भूमिका शरीर को हानिकारक संक्रमण, बैक्टीरिया और कवक से बचाने के लिए है। धीमी गति से काम करने वाले लसीका प्रणाली के लक्षण है –थकान, गले में खराश, वजन बढ़ना है। इस जड़ी बूटी को एक शक्तिशाली लिम्फ क्लीन्ज़र के रूप में भी जाना जाता है।  मंजिष्ठा की रक्त शुद्ध करने की क्रिया त्वचा को स्वस्थ रखने में योगदान देती है, इस जड़ी बूटी में एंटीऑक्सिडेंट्स की विशेषता होती है, जिससे त्वचा को एक समग्र रूप दिया जा सकता है और  झुर्रियों को कम किया जा सकता है।  अश्वगंधा एक और प्राचीन औषधीय जड़ी बूटी है जो की  शरीर के तनाव  की रोकथाम  करने में मदद करती हे  l  हमारे शरीर और मस्तिष्क पर इसके कई अन्य लाभ हैं। यह मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को   बढ़ावा देने, चिंता और अवसाद (Depression  ) से लड़ने में   मदद करती है।

इस जड़ी बूटी के एडाप्टोजेनिक लाभ हैं। यह अमीनो एसिड, विटामिन का एक संयोजन है जो तनाव और  बदलते पर्यावरण की प्रतिक्रिया को नियंत्रित करती   है। यह शरीर को बाहरी तनाव जैसे वातावरण में विषाक्तता तथा  चिंता और अनिद्रा जैसे आंतरिक तनाव से निपटने में भी  मदद करती  है। दारुहिद्रा यकृत ( Liver )  की रक्षा करने में मदद करती है  और यकृत ( Liver ) विकारों ( Disorders ) को रोकती  है क्योंकि यह यकृत एंजाइम के स्तर को बनाए रखती  है।यह  जिगर ( लिवर ) की कोशिकाओं की रक्षा करती  है क्योंकि इसमें एंटीऑक्सिडेंट होते हैं। त्वचा के लिए भी फायदेमंद है इसके फल विटामिन सी का एक अच्छा  स्रोत हैं। इन जड़ी बूटियों को अपने दैनिक आहार में शामिल करना  मानसिक और शारीरिक कल्याण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

Leave a Reply

Bitnami